Haryana News: ब्रांच इंचार्ज केवल सिंह की टीम ने 40 करोड़ के घोटाले में रची सस्पेंस भरी गिरफ्तारी

Haryana News: आर्थिक अपराध शाखा (Economic Offenses Wing) ने शनिवार को आगरा से एग्रो नेचर फार्मिंग कंपनी के डायरेक्टर राकेश शर्मा को गिरफ्तार कर लिया। राकेश शर्मा पर कई राज्यों के करीब छह हजार किसानों से 40 करोड़ रुपये की ठगी करने का आरोप है। यह ठगी केंचुआ खाद (वर्मीकम्पोस्ट) बनाने के नाम पर की गई। हाल ही में सेक्टर 17 थाने में इस मामले में केस दर्ज किया गया था। आरोपी मूल रूप से पानीपत के भाटिया कॉलोनी का रहने वाला है। उसे शनिवार को अदालत में पेश किया गया जहां से पुलिस ने तीन दिन का रिमांड लिया। एसपी सुरेंद्र भौरिया और एएसपी सृष्टि गुप्ता ने बताया कि यह करोड़ों की ठगी का मामला है इसलिए इसे आर्थिक अपराध शाखा को सौंपा गया। शाखा के इंचार्ज केवल सिंह की टीम ने इस मामले में सख्त कार्रवाई की।
किसानों से ऐसे हुई ठगी की शुरुआत
13 मई को मारवान खुर्द के सियाराम, रानीपुर के यशपाल, छछरौली के ईश्वर चंद्र, अंबाला के पवन कुमार, खजुरी रोड के अनुपम आर्य और अंबाला कैंट के प्रेमलता व भूपेश खन्ना समेत कई किसानों ने एसपी को शिकायत दी। उन्होंने बताया कि वे बेरोजगार और छोटे किसान हैं। उनके पास एग्रो नेचर फार्मिंग कंपनी के दो लोग आए जिन्होंने कहा कि उनकी जमीन पर वर्मीकम्पोस्ट प्लांट लगाया जाएगा। इसके लिए हर बेड पर 10 हजार रुपये का निवेश करना होगा जो कंपनी के खाते में जमा होगा। बदले में किसानों को एडवांस चेक मिलेगा और जब खाद तैयार होगी तो कंपनी इसे बेचेगी और किसानों को हर महीने 22 हजार रुपये की कमाई होगी।
शुरुआत में मिला पैसा फिर हुआ धोखा
कंपनी ने बाकायदा किसानों के साथ समझौता किया था और शुरुआत में कुछ किसानों को पैसा भी दिया जिससे उनका भरोसा बढ़ा। लेकिन जनवरी से कंपनी ने पैसे देना बंद कर दिया। किसान जब कंपनी के दफ्तर पहुंचे तो वहां से कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला। किसानों का आरोप है कि इस स्कीम के तहत अन्य किसानों को भी फंसाया गया। कुल मिलाकर करीब 36 लाख रुपये का निवेश किया गया था लेकिन बार-बार चक्कर लगाने के बाद भी कंपनी ने पैसा नहीं लौटाया। इस मामले में सेक्टर 17 थाने में जोगिंदर राज, राकेश शर्मा, नितिन, गौरव, गोविंद, सुमन, प्रदीप, आरती और संतोष के खिलाफ केस दर्ज किया गया है।
कई राज्यों में फैला एजेंटों का जाल
एग्रो नेचर फार्मिंग कंपनी ने हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में अपने एजेंट नियुक्त किए थे। इन एजेंटों ने किसानों को केंचुआ खाद प्लांट में निवेश करने के लिए तैयार किया। इसके तहत किसानों को अपनी 1.5 से 2 एकड़ जमीन कंपनी को देनी होती थी और कम से कम 2.5 लाख रुपये का निवेश करना होता था। कंपनी का वादा था कि वह हर महीने 22,500 रुपये किसानों को देगी। यह समझौता दो साल के लिए होता था और सारी रकम ऑनलाइन जमा कराई जाती थी। लेकिन अंत में यह पूरा मामला धोखाधड़ी में बदल गया और सैकड़ों किसानों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा।